लाल सागर में केबल क्षतिग्रस्त होने से कई देशों में internet बाधित, भारत भी प्रभावित

लाल सागर में केबल क्षतिग्रस्त होने से कई देशों में internet बाधित, भारत भी प्रभावित

नई दिल्ली: लाल सागर (Red Sea) में समुद्र के नीचे बिछी केबल के क्षतिग्रस्त होने के बाद एशिया और मध्य पूर्व के कई देशों में internet सेवाएँ बाधित हो गई हैं। इस घटना ने वैश्विक स्तर पर डिजिटल कनेक्टिविटी की कमजोरियों को उजागर किया है।

भारत, पाकिस्तान और यूएई में internet बाधित

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, समुद्र के नीचे स्थित केबल कटने से भारत, पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के लाखों उपभोक्ताओं को internet का इस्तेमाल करने में परेशानी का सामना करना पड़ा। पाकिस्तान और भारत के कई क्षेत्रों में उपयोगकर्ताओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, ऑनलाइन बैंकिंग और वीडियो स्ट्रीमिंग सेवाओं के धीमा पड़ने की शिकायत की।

Microsoft Azure और अन्य सेवाएँ प्रभावित

Microsoft ने अपने Azure प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ताओं को चेतावनी जारी की है कि केबल क्षतिग्रस्त होने के कारण ट्रैफ़िक रीरूट किया जा रहा है। इससे internet की स्पीड धीमी हो रही है और उच्च लेटेंसी की समस्या सामने आ रही है। यह व्यवधान कई आईटी कंपनियों और ऑनलाइन व्यवसायों को प्रभावित कर रहा है।

NetBlocks ने की पुष्टि

internet मॉनिटरिंग ग्रुप NetBlocks ने पुष्टि की कि लाल सागर के जेद्दा (सऊदी अरब) के पास केबल क्षतिग्रस्त हुई है। इससे भारत, पाकिस्तान, सऊदी अरब और यूएई सहित मध्य पूर्व के कई हिस्सों में उपभोक्ताओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

global internet पर निर्भरता उजागर

विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि दुनिया का डिजिटल बुनियादी ढाँचा पूरी तरह से समुद्र के नीचे बिछी केबलों पर निर्भर है। इन केबलों में खराबी आने पर global internet नेटवर्क पर सीधा असर पड़ता है।

उपभोक्ताओं पर असर

भारत और पाकिस्तान में internet बाधित होने से ई-कॉमर्स, ऑनलाइन शिक्षा, डिजिटल पेमेंट और आईटी सेक्टर पर तगड़ा असर पड़ा है। वहीं यूएई के उपयोगकर्ताओं ने भी Etisalat और Du नेटवर्क पर लगातार समस्या की शिकायत दर्ज की है।

निष्कर्ष

लाल सागर में हुए इस केबल व्यवधान ने साफ कर दिया है कि internet के वैश्विक नेटवर्क को और सुरक्षित बनाने की आवश्यकता है। सरकारों और प्राइवेट कंपनियों को मिलकर ऐसे डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करना होगा, जिससे भविष्य में किसी एक केबल के कटने पर पूरी दुनिया की कनेक्टिविटी प्रभावित न हो।

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