Amit Shah Bills: संसद में पेश होंगे तीन अहम विधेयक, पीएम और मंत्रियों की पात्रता पर बड़ा प्रावधान

नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र में इस बार राजनीति का माहौल गरम होने वाला है क्योंकि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन बड़े विधेयक पेश करने की घोषणा की है। इन विधेयकों को Amit Shah Bills के नाम से देखा जा रहा है, जिनका उद्देश्य गंभीर आपराधिक आरोपों में फंसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को पद से हटाने की प्रक्रिया को कानूनी ढांचा देना है।

Amit Shah Bills का उद्देश्य

20 अगस्त 2025 को लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने तीन बड़े विधेयक पेश करने का संकेत दिया। इन Amit Shah Bills में संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक 2025 शामिल हैं।
इन विधेयकों का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ़्तार होकर 30 दिनों से अधिक समय तक हिरासत में रहता है, तो उसे स्वतः पद से हटाया जा सके।

Amit Shah Bills की प्रमुख विशेषताएँ

Video Courtesy by Moneycontrol

Amit Shah Bills के अनुसार—

  • यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री पाँच साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराध के आरोप में गिरफ्तार होकर लगातार 30 दिन तक हिरासत में रहता है, तो 31वें दिन तक उसे पद से हटा दिया जाएगा।

  • प्रधानमंत्री के मामले में यह निर्णय राष्ट्रपति लेंगे।

  • राज्य मंत्रियों के लिए मुख्यमंत्री, मुख्यमंत्रियों के लिए राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए उपराज्यपाल यह फैसला करेंगे।

  • हिरासत से रिहाई के बाद संबंधित नेता को दोबारा पद पर नियुक्त किया जा सकता है।

Amit Shah Bills क्यों हैं ज़रूरी?

गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि निर्वाचित प्रतिनिधि जनता की उम्मीदों और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में उनसे उम्मीद की जाती है कि वे राजनीति से ऊपर उठकर केवल जनहित और सुशासन के लिए काम करें।
Amit Shah Bills में कहा गया है कि अगर कोई मंत्री गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार होता है, तो यह संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ विश्वासघात है। इसलिए ऐसे मंत्रियों को तुरंत हटाने के लिए संवैधानिक प्रावधान बनाए जाने की आवश्यकता है।

Amit Shah Bills और संवैधानिक संशोधन

इन विधेयकों के जरिये संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन का प्रस्ताव है। वर्तमान में ऐसे मामलों के लिए कोई स्पष्ट संवैधानिक प्रावधान नहीं है। यही कारण है कि Amit Shah Bills को ऐतिहासिक और परिवर्तनकारी माना जा रहा है।
इनमें विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में मुख्यमंत्री और मंत्रियों को हटाने की प्रक्रिया को भी परिभाषित किया गया है।

विपक्ष और Amit Shah Bills

हालाँकि अभी विपक्ष की तरफ से इन विधेयकों पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि संसद में इस पर गहन बहस होगी। कई राजनीतिक दल इसे सरकार द्वारा शक्ति केंद्रीकरण का प्रयास बता सकते हैं, वहीं समर्थक इसे भ्रष्टाचार और आपराधिकरण के खिलाफ ठोस कदम मान रहे हैं।
Amit Shah Bills पर चर्चा के दौरान यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच सहमति बनती है या नहीं।

निष्कर्ष

Amit Shah Bills केवल विधायी सुधार नहीं हैं, बल्कि भारतीय राजनीति में नैतिकता और जवाबदेही स्थापित करने का प्रयास भी हैं। यदि ये विधेयक पास हो जाते हैं, तो यह लोकतंत्र की पारदर्शिता और ईमानदारी के लिए मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री और मंत्रियों तक, किसी भी स्तर पर यदि गंभीर आपराधिक आरोप लगते हैं और व्यक्ति जेल में है, तो जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए उसका पद पर बने रहना उचित नहीं होगा।

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