जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के सुदूर पहाड़ी गाँव चोसिटी में Jammu and Kashmir cloudburst की भीषण घटना ने सबको दहला दिया है। गुरुवार, 14 अगस्त 2025 को मचैल माता मंदिर की यात्रा के दौरान आए इस बादल फटने के कारण अचानक आई बाढ़ में कम से कम 60 लोगों की मौत हो गई, जबकि दर्जनों लोग घायल हुए। बचे हुए लोग आज भी मौत के उस मंजर को याद कर कांप उठते हैं।
मासूम देवांशी का चमत्कारी बचाव
इस Jammu and Kashmir cloudburst के दौरान 9 वर्षीय देवांशी अपने परिवार के साथ मचैल माता मंदिर की यात्रा के अंतिम चरण में थीं। मैगी पॉइंट की एक दुकान पर अचानक तेज़ बहाव और मलबे का ढेर गिरा, जिसमें वह दब गईं।
देवांशी बताती हैं,
“मैं सांस नहीं ले पा रही थी। मेरे चाचा और गाँव वालों ने घंटों तक लकड़ी और मलबा हटाकर मुझे बाहर निकाला। माता रानी ने हमें बचा लिया।”
उनकी कहानी केवल एक बचाव की गाथा नहीं, बल्कि इस त्रासदी में इंसानी साहस का उदाहरण है।
स्नेहा का डरावना अनुभव
32 वर्षीय स्नेहा का कहना है कि उन्होंने अपनी आंखों के सामने दर्जनों लाशें देखीं। उनका परिवार कीचड़ में दब गया और एक गाड़ी के नीचे फंस गया।
“मैं गाड़ी के नीचे फंसी थी, चारों ओर बच्चों और बड़ों के शव पड़े थे। मुझे लगा अब सब खत्म हो गया,”
वह कहती हैं। लेकिन हिम्मत और किस्मत के चलते वे बाहर निकल पाईं।
हर ओर तबाही का मंजर
Jammu and Kashmir cloudburst के समय पहाड़ से मिट्टी, पत्थरों और पेड़ों का मलबा बहकर आया, जिसने पूरे इलाके को तबाह कर दिया। चिनाब नदी में लोगों को बहते हुए देखा गया, पुल और सड़कें मलबे में दफन हो गईं।
उधमपुर के सुधीर बताते हैं,
“ऐसा लगा जैसे आसमान और धरती एक साथ ढह गए हों। मेरी पत्नी और बेटी दब गईं, लेकिन मैंने उन्हें बाहर निकाला।”
खून से लथपथ घायल, टूटी पसलियाँ, कीचड़ से भरे फेफड़े और गहरे घाव—ये नजारे देखने वाले कभी भूल नहीं पाएंगे।
बचाव अभियान: सेना और ग्रामीणों की बड़ी भूमिका
इस Jammu and Kashmir cloudburst के बाद सेना, एसडीआरएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ और पुलिस ने देर रात तक राहत-बचाव अभियान चलाया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रदीप सिंह ने बताया कि तेज़ और समन्वित प्रयास से मृतकों की संख्या बढ़ने से रोकी गई।
स्थानीय ग्रामीण भी हीरो साबित हुए। गंगा राम के नेतृत्व में 20 से अधिक बाइक सवारों ने कट चुकी सड़कों से घायलों को सुरक्षित स्थान तक पहुँचाया। प्रदीप सिंह ने कहा,
“अगर ये स्थानीय लोग मदद न करते, तो और भी जानें जा सकती थीं।”
लापता लोग और जारी तलाश
घटना के कई घंटे बाद भी कुछ लोग लापता हैं। जम्मू की उमा ने बताया कि वह एक गाड़ी के टायर को पकड़कर बचे रहीं, लेकिन उनकी बहन गहना रैना अभी भी नहीं मिली। वैशाली शर्मा, जो अपने माता-पिता से बिछड़ गईं, कहती हैं कि सेना की वजह से उनकी जान बची।
आस्था और त्रासदी का संगम
मचैल माता यात्रा के दौरान हुए इस Jammu and Kashmir cloudburst ने श्रद्धालुओं के दिलों में डर और दर्द दोनों भर दिए। कई बचे लोगों ने कहा कि “माता रानी ने हमें बचा लिया”, जबकि दूसरों के लिए यह यात्रा जीवन का आखिरी पड़ाव साबित हुई।
निष्कर्ष
Jammu and Kashmir cloudburst सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि मानव साहस, सामुदायिक एकजुटता और आस्था की अनूठी परीक्षा थी। इस घटना ने एक बार फिर दिखाया कि पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम की मार कितनी भयावह हो सकती है, और इसके लिए बेहतर चेतावनी तंत्र और आपदा प्रबंधन की सख्त ज़रूरत है।