Tehran Movie Review बताती है कि कैसे एक सच्ची घटना पर आधारित जासूसी थ्रिलर दर्शकों को अपनी सीट से बाँधकर रख सकती है। 2012 में दिल्ली में हुए बम धमाके के बाद शुरू हुई इस कहानी में भारतीय विशेष अधिकारी राजीव कुमार (जॉन अब्राहम) का सफर उन्हें सीधे ईरान के दिल तक ले जाता है। हालात ऐसे हैं कि ईरान उनका पीछा कर रहा है और भारत उनसे किनारा कर चुका है। अब राजीव को तीन देशों के बीच फैले धोखे के जाल को सुलझाना है – और वो भी समय रहते।
Tehran Movie Review के मुताबिक, फिल्म का निर्देशन अरुण गोपालन ने किया है, जो शुरुआत से ही तनावपूर्ण माहौल बनाते हैं। फिल्म का आगाज़ दिल्ली में ईरानी दूतावास के बाहर हुए कार बम विस्फोट से होता है, जो वास्तव में एक बड़े भू-राजनीतिक खेल की शुरुआत है।
राजीव कुमार के किरदार में जॉन अब्राहम का अभिनय सधा हुआ और दमदार है। वे कम बोलते हैं लेकिन अपने एक्शन और भाव-भंगिमाओं से कहानी को आगे बढ़ाते हैं। Tehran Movie Review में मानुषी छिल्लर (एस.आई. दिव्या) और नीरू बाजवा (शैलजा) के किरदारों की भी तारीफ़ करनी होगी, जिन्होंने फिल्म में भावनात्मक गहराई जोड़ी है।
लेखक रितेश शाह और आशीष पी. वर्मा ने एक जटिल और परतदार कहानी लिखी है, जो दर्शकों से पूरा ध्यान चाहती है। Tehran Movie Review यह साफ़ करती है कि फिल्म spoon-feeding नहीं करती – आपको खुद कहानी के धागे जोड़ने होंगे।
फिल्म की सबसे बड़ी खासियत इसकी सिनेमैटोग्राफी है। तेहरान की गलियों, बाजारों और छुपे कोनों का यथार्थवादी चित्रण दर्शकों को उस माहौल में ले जाता है। एक्शन सीक्वेंस – पीछा, गोलीबारी और क्लोज-कॉम्बैट – सभी बारीकी से और वास्तविक अंदाज़ में पेश किए गए हैं।
हालाँकि Tehran Movie Review
यह भी मानती है कि फिल्म में कई किरदार और राजनीतिक लेयर्स हैं, जो कुछ दर्शकों को भारी लग सकती हैं। लेकिन यही गहराई इसे खास बनाती है। बैकग्राउंड स्कोर सस्पेंस को पूरे समय बनाए रखता है।
त्योहारी सीजन में अगर आप कुछ अलग और दमदार देखना चाहते हैं, तो Tehran Movie Review के हिसाब से यह फिल्म आपकी वॉचलिस्ट में जरूर होनी चाहिए। इसकी प्रामाणिकता, दमदार एक्टिंग और तेज़ रफ्तार इसे इस साल की बेहतरीन थ्रिलर्स में से एक बनाती है।